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चने के खेत में

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नमस्कार , आज लॉक डाउन के दौरान घर पर बैठे बैठे मन हुआ कि चलते है खेत पर ही सैर कर के आ जाए । तो सुबह चाय पी कर चल दिए खेत के सैर पर । खेत में जाने के बाद पता चला कि अब प्रकृति कितनी बदल गई है। वन्य जीव जिस फसल को मुंह नहीं लगाते थे आज उसको बर्बाद कर दे रहे है। मै बात कर रहा हूं चने कि फसल का जी हां।पहले ये जीव इस फसल को नहीं खाते थे क्योंकि चने कि झाड़ में खट्टा पन होता है तो,नहीं खाते थे पर उन्हें अब कुछ मिल ही नहीं रत हा है तो खाएंगे ही। उसके पिछे का मूल कारण जहा तक मै समझता हूं कि मनुष्य ही है। बढ़ती आबादी की वजह से लोग खेत खलिहान में अब घर बनवा के रहने लगे है और खेती धीरे धीरे कम होती जा रही है तो क्या करे बेचारे पशु।अब जो भी मिलता है खा रहे है चाहे खट्टा लगे या मीठा ।आम तौर पर वो इस फसल से दूर ही रहते है लेकिन.......... तो अब वे भी अपने को बदल लिए है अपने को जो मिलता है खाते जाते है। पहले की अपेक्षा अब खेती में ज्यादा जतन करना पड़ता है पहले तो  इतने बांड नहीं लगाने होते थे लेकिन अब तो ज्यादा ही करना पड़ता है। इस बरस कुछ तो प्रकृति ने साथ नहीं दिया और कुछ वन्य जीव ने बचा खुचा बराब
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यदि किसी काम को कोई दूसरा कर सकता है तो मैं भी कर सकता हूं और यदि उस काम को किसी व्यक्ति ने नहीं किया तो वह काम मैं अवश्य करूंगा जीवन में यदि आप सफलता पाना चाहते हैं तो आपको अपने लक्ष्य को एकदम साफ स्वच्छ पानी की तरह रखना चाहिए उसने कोई दुविधा नहीं होना चाहिए कि मैं यह भी कर लूं दूसरा भी काम कर लूं तो ऐसे आप सफल होने में ज्यादा समय लगा देंगे. सफल होने के लिए आपको आपका उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए कि मैं क्या करना चाहता हूं मेरे हिसाब से तो आपको उस क्षेत्र को चुराना चाहिए जिसमें आपको काम करने में मजा आता हो ऐसे क्षेत्र को नहीं जिसमें आप बोरियत महसूस करें.